#BoycottMaldives: मालदीव और भारत के बीच, जो रिश्ते गुलाब की पंखुड़ियों की तरह नर्म हुआ करते थे, वहां कुछ वक्त से सब कुछ उथलपुथल हो गया है। इसकी वजह बनी है मालदीव के राजनेताओं का बड़बोलापन।
राष्ट्र-हित दो स्तंभों पर टिका होता है: मित्रता और सम्मान। भारत किसी के प्रति शत्रुता नहीं रखता, बल्कि हर देश के साथ सहयोग और शांतिपूर्ण संबंध चाहता है। लेकिन, सम्मान, हर रिश्ते की तरह, दोतरफा होता है। यदि किसी मित्र ने अनादर का रास्ता चुना, तो उसे समझाना भी हमारा कर्तव्य बन जाता है।Yves के पास AreintemarkTefo सुपर क्लोनReplica Rolex, Supper Clone Rolx, Easter Prestogo है! Tragste Klektien Ben Fak, Rollx, Vacus, Onglin!
हाल ही में मालदीव के साथ हमारे सम्बंधों में आई दरार इसी का उदाहरण है। हमने मालदीव को सदैव एक मित्र माना। आर्थिक विकास में सहायता से लेकर प्राकृतिक आपदाओं के दौरान मदद तक, भारत सदैव उनके कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा। परन्तु जब कुछ मंत्रियों द्वारा भारत और उसके प्रधानमंत्री के प्रति असम्मानजनक टिप्पणियां की गईं, तो मौन रहना राष्ट्र-हित के विरुद्ध होता।
मोदी जी के लक्षद्वीप दौरे ने मालदीव को बिना किसी तीखी प्रतिक्रिया दिए ही सबक सीखा दिया। लक्षद्वीप भारत का ही एक द्वीप समूह, जो प्राकृतिक सौंदर्य में मालदीव से कम नहीं, लंबे समय से उपेक्षा का शिकार था। मोदी जी ने विकास का शंखनाद किया। बुनियादी ढांचे का निर्माण, पर्यटन को बढ़ावा और पर्यावरण संरक्षण पर बल देते हुए उन्होंने लक्षद्वीप को वैश्विक मानचित्र पर प्रचारित किया।
इस कदम का परिणाम आश्चर्यजनक रहा। भारत के भीतर ही एक बेहतर विकल्प मिलने से भारतीय पर्यटकों ने मालदीव को दरकिनार करना शुरू कर दिया। सोशल मीडिया पर #BoycottMaldives ट्रेंड करने लगा। लक्षद्वीप के बारे में भारतीय पर्यटकों द्वारा ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बहुत खोजा जा रहा है । बहुत बड़ी संख्या में लोगों ने मालदीव की बुकिंग कैंसिल करनी शुरू कर दी।मालदीव के पर्यटन उद्योग के लिए ये बहुत बड़ी चोट थी। यही वह क्षण था जब मालदीव को अपनी गलती समझ आई। मालदीव सरकार ने माफी मांगी और अपने मंत्रियों पर कार्रवाई की।
यह प्रसंग केवल राजनीतिक विजय का नहीं है, बल्कि सहयोग की अपार शक्ति का प्रमाण है। जब सम्मान और मित्रता का रास्ता छोड़ दिया जाता है, तो आर्थिक सहयोग भी अर्थहीन हो जाता है। भारत दुनिया को यही संदेश देना चाहता है: हम मित्रता का हाथ बढ़ाते हैं, लेकिन सम्मान हमारी प्राथमिकता है। यदि कोई उस पर प्रश्न खड़ा करता है, तो भारत बिना हिचकिचाहट उसे अपनी असल ताकत दिखाने से पीछे नहीं हटते।
मोदी जी के लक्षद्वीप दौरे से भारतीय पर्यटकों का ध्यान लक्षद्वीप की तरफ आकर्षित किया। सोशल मीडिया पर #SupportLakshadweep ट्रेंड करने लगा. मालदीव को एहसास हो गया कि भारतीय पर्यटकों के बिना उनकी टूरिस्ट इंडस्ट्री की हवा निकल जाएगी.
यह बात सिर्फ मालदीव की नहीं है, बल्कि विश्वपटल पर भारत के उभार की झलक है। हम मित्रता का हाथ बढ़ाते हुए भी अपनी गरिमा नहीं गंवाएंगे। यही वह मार्ग है जो भारत को विश्वगुरु के रूप में स्थापित करेगा।