सूर्य हमारे सौर मंडल का केंद्र और जीवन का स्रोत है। यह हमारे ग्रहों, उपग्रहों, और धूमकेतुओं के लिए गुरुत्वाकर्षण बल प्रदान करता है। सूर्य से निकलने वाला प्रकाश पृथ्वी पर जीवन के लिए अत्यन्त आवश्यक है।
हालांकि, सूर्य एक जटिल पिंड है जिसे पूरी तरह से समझना अभी भी हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है। सूर्य के बारे में हमारी समझ को बेहतर बनाने के लिए, भारत सरकार ने ADITYA-L1 मिशन लॉन्च किया है। यह मिशन सूर्य की बाहरी परत का अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर और सबसे बाहरी कोरोना शामिल हैं।
इस ब्लॉग पोस्ट में, हम ADITYA-L1 मिशन के बारे में अधिक जानेंगे। हम इसके उद्देश्यों, उपकरणों और वैज्ञानिक महत्व पर चर्चा करेंगे।
ADITYA-L1 Mission क्या हैं ?
ADITYA-L1 विभिन्न भारतीय अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया एक आगामी अंतरिक्ष मिशन है। इस अंतरिक्ष यान का निर्माण सौर वातावरण का अध्ययन करने के उद्देश्य से किया गया है। यह सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के भीतर लैग्रेंज बिंदु 1 (एल1) के निकट स्थित एक प्रभामंडल कक्षा (Halo orbit) में स्थापित किया जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 लाख किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
मिशन प्रकार | सौर अनुसंधान |
निर्माणकर्ता संस्था | भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) |
आधिकारिक वेबसाइट | https://www.isro.gov.in/Aditya_L1.html |
मिशन अवधि | 5.2 वर्ष |
प्रक्षेपण स्थल | सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा |
रॉकेट | पीएसएलवी-सी57 (PSLV-C57) |
कुल बजट | तकरीबन 378.53 cr |
कुल पेलोड | 7 |
लॉन्च Date | 2 September, 2023 |
आदित्य-एल1 (ADITYA-L1) के प्राथमिक उद्देश्य क्या हैं ?
आदित्य-एल1 मिशन का प्राथमिक उद्देश्य सूर्य के बारे में व्यापक डेटा इकट्ठा करना है। यह मिशन सूर्य की बाहरी परत का अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें प्रकाशमंडल (photosphere), क्रोमोस्फियर और सबसे बाहरी कोरोना शामिल हैं। यह मिशन कई सौर घटनाओं, जैसे कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई), प्री-फ्लेयर और फ्लेयर गतिविधियों के साथ-साथ सौर मौसम की गतिशीलता के बारे में हमारी समझ को बढ़ाने में मदद करेगा।
आदित्य-एल1 मिशन के प्राथमिक उद्देश्य इस प्रकार हैं:
- सूर्य की बाहरी परत का अध्ययन करना
- सूर्य के किरणों का अध्ययन: इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सूर्य के उच्च ऊर्जा किरणों का अध्ययन करना है, जिनमें अल्फा-रे, गैमा-रे और एक्स-रे किरणें शामिल हैं।
- सौर वायुमंडल, सौर चुंबकीय तूफान और पृथ्वी के पर्यावरण पर उनके द्वारा होने वाले संभावित प्रभावों का अध्ययन करना
- अंतरिक्ष मौसम की मॉनिटरिंग करना, ताकि हम अंतरिक्ष के वातावरण में आने वाले बदलावों को पहले से ही भांप सकें।
आदित्य-एल1 मिशन भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर सिद्ध हो सकता है। यह मिशन वैज्ञानिकों को सूर्य और पृथ्वी के बीच के संबंधों एवं सूर्य की गतिविधियों को और अधिक विस्तार से समझने में हमारी सहायता करेगा।
आदित्य-एल1 मिशन कब लॉन्च किया गया ? (Launch Date)
आदित्य-एल1 मिशन का प्रक्षेपण 2 सितंबर, 2023 को भारतीय मानक समय (आईएसटी) पर प्रातः11:50 बजे, श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र लॉन्चिंग सेंटर से पीएसएलवी-सी57 (PSLV-C57) रॉकेट से Launch किया गया है।
लैग्रेंज बिंदु 1 (L1 point) क्या है ?
लैग्रेंज पॉइंट 1, जिसे अक्सर L1 के रूप में प्रदर्शित किया जाता है, एक ऐसा स्थान है जो दो बड़े खगोलीय पिंडों, जैसे कि पृथ्वी और सूर्य, के गुरुत्वाकर्षण बल को संतुलित करता है, जिससे की किसी अंतरिक्ष यान या सैटेलाइट जैसे की आदित्य-L1 को प्रभामंडल कक्षा (Halo orbit) में स्थिर रहने में सहायता मिलेगी।
आसान भाषा में लैग्रेंज बिंदु 1 (L1 point) का मतलब है => सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल == पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल
पृथ्वी-सूरज प्रणाली के संदर्भ में, L1 पृथ्वी और सूरज के बीच लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
इस स्थान पर पहुँच कर ADITYA-L1 , 24/7 सूरज का अध्ययन कर सकता है . इस बिंदु कि एक बहुत बड़ी विशेषता यह भी है कि यहां पर स्थित रह कर आदित्य-एल1 में ऊर्जा (ईंधन) का बहुत कम इस्तमाल होगा।
ADITYA-L1 पर कितने पेलोड होंगे ?
ADITYA-L1 में कुल 7 payload हैं। इनमें से 4 पेलोड सूरज का निरीक्षण करेंगे और 3 पेलोड L1 Point के आसपास के कणों और वातावरण का अध्ययन करेंगे।
आइए अब हम जानते हैं इन पेलोडस के बारे में:
Type | Sr. No. | Payload Name | Developed By | Objective |
Remote Sensing Payloads | 1 | दृश्यमान उत्सर्जन रेखा कोरोनाग्राफ / Visible Emission Line Coronagraph(VELC) | Indian Institute of Astrophysics, Bangalore | कोरोना लेयर, इमेजिंग और स्पेक्ट्रोस्कोपी, कोरोना लेयर और कोरोनल मैस इजेक्शन का अध्ययन करना |
2 | सौर पराबैंगनी प्रतिबिंबन टेलीस्कोप / Solar Ultraviolet Imaging Telescope (SUIT) | Inter-University Center for Astronomy and Astrophysics (IUCAA), Pune | फोटोस्फियर और क्रोमोस्फियर इमेजिंग – संकीर्ण और व्यापक ब्रॉडबैंड, फोटोस्फियर और क्रोमोस्फियर का अध्ययन करना, जो हमें सूर्य की भूमिका और गुणों को समझने में मदद करते हैं। | |
3 | सौर निम्न ऊर्जा एक्स-रे वर्णक्रममापी / Solar Low Energy X-ray Spectrometer (SoLEXS) | U R Rao Satellite Centre, Bangalore | सॉफ्ट एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर, सूर्य के एक्स-रे फ्लेयर्स का अध्ययन एक व्यापक एक्स-रे ऊर्जा सीमा के माध्यम से करने से हमें सूर्य के रासायनिक संरचना को जानने में मदद मिलेगी। | |
4 | उच्च ऊर्जा एल1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे वर्णक्रममापी / High Energy L1 Orbiting X-ray Spectrometer(HEL1OS) | U R Rao Satellite Centre, Bangalore | हार्ड एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर, सूर्य के हार्ड एक्स-रे क्षेत्र में होने वाले विभिन्न प्रकार के ऊर्जा उत्सर्जन को मापना और उनके ऊर्जा स्तरों का निरीक्षण करना होता है, जिससे हम सूर्य की विशेषता और उसके विभिन्न तत्वों की रासायनिक संरचना को समझ सकते हैं। | |
In-situ Payloads | 5 | आदित्य सौर पवन कण प्रयोग/ Aditya Solar wind Particle Experiment(ASPEX) | Physical Research Laboratory (PRL), Ahmedabad | आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX) का उद्देश्य सूर्य के सोलर विंड से आते हुए प्रोटॉन पार्टिकल्स का अध्ययन करना। ये प्रोटॉन पार्टिकल्स की गति, दिशा और उनके गुणों को विश्लेषण करता है, जिससे हमें सूर्य की सोलर विंड और सौर्यमंडल के अंतरिक्षीय प्रक्रियाओं को समझने में मदद करता है। |
6 | प्लाज्मा विश्लेषक पैकेज / Plasma Analyser Package For Aditya (PAPA) | Space Physics Laboratory, Vikram Sarabhai Space Centre, Thiruvananthapuram | प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (पापा) का उद्देश्य है सूर्य के प्लाज्मा का अध्ययन करना। ये सूर्य के सोलर विंड से आते हुए इलेक्ट्रॉन पार्टिकल्स का अध्ययन करता है। उनकी गति, दिशा और उनके गुणों का विश्लेषण करता है। | |
7 | उन्नत त्रि-अक्षीय उच्च विभेदन डिजिटल मैग्नेटोमीटर/ Advanced Tri-axial High Resolution Digital Magnetometers | Laboratory for Electro-Optics Systems (LEOS), Bengaluru | इन-सीटू मैग्नेटिक फील्ड (Bx, By and Bz). L1 पॉइंट पर यह मैग्नेटोमीटर तीन अलग-अलग दिशाओं (Bx, By and Bz) में मैग्नेटिक फील्ड की उच्च-रिज़ोल्यूशन माप कर सकते हैं |
सूर्य तक जाने में कितना समय लगेगा
श्रीहरिकोटा के लॉन्चिंग सेंटर से लॉन्च किया गया आदित्य एल-1 अंतरिक्ष यान, पृथ्वी और सूर्य के बीच स्थित एल-1 प्वाइंट पर पहुंच में 125 दिन का समय लेगा।
होमपेज | यहां क्लिक करें |
अधिकारिक वेबसाइट | यहां क्लिक करें |
FAQ
Ans: 2 September, 2023
Ans: सूर्य की बाहरी परत का अध्ययन, जिसमें प्रकाशमंडल (photosphere), क्रोमोस्फियर और सबसे बाहरी कोरोना शामिल हैं।
Ans: पीएसएलवी-सी57 (PSLV-C57) रॉकेट
Ans: तकरीबन 378.53 cr
Ans: सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा
Ans: तकरीबन 5.2 वर्ष